शरीर में देवता बुलाने का मंत्र: विधि, महत्व और सावधानियां | | आध्यात्मिक साधना

शरीर में देवता बुलाने का मंत्र क्या है?
शरीर में देवता बुलाने का मंत्र क्या है?

क्या आपने कभी सोचा है कि क्या मानव शरीर में दैवीय शक्तियों को आमंत्रित किया जा सकता है? यह एक ऐसा प्रश्न है जो सदियों से आध्यात्मिक साधकों, भक्तों और जिज्ञासुओं के मन में उठता रहा है। भारतीय सनातन परंपरा में, मंत्रों को एक शक्तिशाली माध्यम माना गया है जो न केवल ब्रह्मांड से जुड़ने में मदद करते हैं, बल्कि शरीर और मन को इस स्तर तक शुद्ध कर सकते हैं कि उनमें देवत्व का अंश प्रकट हो सके।

इस लेख में, हम विस्तार से जानेंगे कि शरीर में देवता बुलाने का मंत्र क्या है, इसके पीछे का आध्यात्मिक विज्ञान क्या है, और इस साधना को करने की सही विधि क्या है। हम इस प्रक्रिया के महत्व, लाभ और इससे जुड़ी सावधानियों पर भी प्रकाश डालेंगे।

देवता आवाहन का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ

प्राचीन काल से ही भारत में देवता आवाहन की परंपरा रही है। वेदों, पुराणों और तंत्र ग्रंथों में ऐसे कई उल्लेख मिलते हैं, जहां साधक कठोर तपस्या और मंत्र जाप के माध्यम से अपने इष्ट देव को प्रसन्न कर उनका साक्षात्कार करते थे। यह केवल किसी देवता को मूर्ति में स्थापित करने तक सीमित नहीं था, बल्कि अपनी चेतना को उस स्तर तक उठाना था जहां देवता का अंश साधक के शरीर में ही वास करने लगे।

‘शरीर में देवता का वास’ का अर्थ यह नहीं है कि कोई देवता भौतिक रूप से आपके अंदर आ जाते हैं। इसका आध्यात्मिक अर्थ है कि आपके गुण, विचार, ऊर्जा और चेतना उस देवता के गुणों के साथ एकाकार हो जाती है। आप उस देवता की शक्ति, ज्ञान और करुणा का एक माध्यम बन जाते हैं। यह आध्यात्मिक साधना की एक बहुत ऊंची अवस्था है।

देवता बुलाने का मंत्र और उसका महत्व

जब हम “शरीर में देवता बुलाने का मंत्र” की बात करते हैं, तो यह समझना महत्वपूर्ण है कि कोई एक सार्वभौमिक मंत्र नहीं है जो सभी देवताओं के लिए काम करे। प्रत्येक देवता की अपनी ऊर्जा, प्रकृति और बीज मंत्र होता है। साधना के लिए सही मंत्र का चुनाव आपके इष्ट देव पर निर्भर करता है।

शाबर मंत्र:
तंत्र साधना में, शाबर मंत्रों को देवता आवाहन के लिए बहुत शक्तिशाली माना जाता है। ये मंत्र आम तौर पर ग्रामीण या स्थानीय भाषाओं में होते हैं और इन्हें सिद्ध करने के लिए कठोर नियमों की आवश्यकता होती है। इनका प्रभाव बहुत तीव्र माना जाता है।

वैदिक और पौराणिक मंत्र:
गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र या किसी विशिष्ट देवता के बीज मंत्र (जैसे- ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ या ‘ॐ गं गणपतये नमः’) का नियमित और श्रद्धापूर्वक जाप करने से भी साधक की ऊर्जा में परिवर्तन आता है। जब यह जाप लाखों की संख्या में पूर्ण अनुशासन के साथ किया जाता है, तो शरीर और मन उस देवता की ऊर्जा को ग्रहण करने के लिए तैयार हो जाते हैं।

मंत्र जाप के लाभ

  • ऊर्जा का शुद्धिकरण: मंत्रों के कंपन से शरीर के सात चक्रों और ऊर्जा नाड़ियों का शुद्धिकरण होता है।
  • मानसिक शांति: नियमित जाप से मन की चंचलता समाप्त होती है और गहरी शांति का अनुभव होता है।
  • सकारात्मकता का संचार: यह नकारात्मक विचारों और ऊर्जाओं को दूर कर जीवन में सकारात्मकता लाता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: मंत्र जाप साधक को भौतिक जगत से परे आध्यात्मिक अनुभव की ओर ले जाता है।
  • आत्मबल में वृद्धि: इससे साधक का आत्मविश्वास और आत्मबल बढ़ता है, जिससे वह जीवन की चुनौतियों का सामना आसानी से कर पाता है।

देवता आवाहन की चरण-दर-चरण विधि

यह एक गंभीर आध्यात्मिक साधना है और इसे केवल योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिए। यहाँ एक सामान्य रूपरेखा दी गई है, लेकिन वास्तविक प्रक्रिया आपके गुरु द्वारा बताए गए निर्देशों के अनुसार ही होनी चाहिए।

1. तैयारी और शुद्धि
  • स्थान का चुनाव: एक शांत, स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनें जहाँ आपको कोई परेशान न करे।
  • शारीरिक शुद्धि: साधना से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र (आमतौर पर पीले या लाल) पहनें।
  • मानसिक तैयारी: सभी प्रकार के नकारात्मक विचारों, क्रोध, और इच्छाओं को त्यागकर मन को शांत करें।
2. संकल्प लेना

अपने हाथ में जल, अक्षत (चावल) और पुष्प लेकर अपने इष्ट देव का ध्यान करें। अपना नाम, गोत्र बोलकर यह संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से (जैसे- आध्यात्मिक उन्नति या लोक कल्याण) यह अनुष्ठान कर रहे हैं।

3. गणेश और गुरु पूजन

किसी भी अनुष्ठान की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से होती है ताकि साधना निर्विघ्न पूरी हो। इसके बाद, अपने गुरु का ध्यान कर उनसे आशीर्वाद मांगें।

4. मंत्र जाप का आरंभ
  • आसन: कुशा या ऊन के आसन पर पद्मासन या सुखासन में बैठें।
  • माला: जिस देवता का मंत्र जाप कर रहे हैं, उससे संबंधित माला (जैसे- शिव के लिए रुद्राक्ष, विष्णु के लिए तुलसी) का प्रयोग करें।
  • जाप की विधि: पूरी एकाग्रता और श्रद्धा के साथ अपने इष्ट देव के मंत्र का जाप शुरू करें। ध्यान रखें कि उच्चारण शुद्ध हो और गति मध्यम हो।
5. ध्यान और समर्पण

मंत्र जाप के दौरान अपनी आंखों को बंद रखें और अपने आज्ञाचक्र (दोनों भौंहों के बीच) पर अपने इष्ट देव के स्वरूप का ध्यान करें। यह महसूस करें कि मंत्र की ऊर्जा आपके पूरे शरीर में फैल रही है और आपका शरीर एक मंदिर बन रहा है।

प्रमुख देवता आवाहन मंत्र और उनके अर्थ

यहाँ कुछ प्रमुख मंत्र दिए गए हैं जो इस साधना में उपयोग किए जा सकते हैं।

  • हनुमान जी का शाबर मंत्र:
    “ॐ नमो आदेश गुरु को। सोने का कड़ा, तांबे का कड़ा हनुमान बाँके। रण में गरजे जैसे शेर। हांक मारे, दुश्मन के प्राण हरे। जो ना माने तो दुहाई राजा रामचंद्र की।”
    यह मंत्र अत्यंत शक्तिशाली है और इसे गुरु के बिना सिद्ध करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
  • दुर्गा आवाहन मंत्र:
    “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।”
    अर्थ: यह नवार्ण मंत्र है जो महासरस्वती (ऐं), महालक्ष्मी (ह्रीं), और महाकाली (क्लीं) की संयुक्त शक्ति का आह्वान करता है।
  • शिव आवाहन मंत्र:
    “ॐ नमः शिवाय।”
    अर्थ: मैं शिव को नमन करता हूँ। यह पंचाक्षर मंत्र सरल होते हुए भी अत्यंत गहरा है। यह ब्रह्मांड की पांच तत्वों पर शिव के आधिपत्य को दर्शाता है।

साधना के दौरान ध्यान रखने योग्य सावधानियां

  • गुरु का मार्गदर्शन: यह सबसे महत्वपूर्ण नियम है। बिना गुरु के इस मार्ग पर चलना खतरनाक हो सकता है।
  • ब्रह्मचर्य का पालन: साधना काल में शारीरिक और मानसिक रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है।
  • सात्विक आहार: इस दौरान केवल सात्विक भोजन (लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा रहित) ही ग्रहण करें।
  • धैर्य और श्रद्धा: यह साधना एक या दो दिन की नहीं है। इसमें महीनों या वर्षों का समय लग सकता है। अटूट श्रद्धा और धैर्य बनाए रखें।
  • अहंकार से बचें: यदि आपको कोई दिव्य अनुभूति होती है, तो अहंकार न करें। इसे ईश्वर की कृपा समझकर अपनी साधना जारी रखें।

निष्कर्ष

‘शरीर में देवता बुलाने का मंत्र’ केवल कुछ शब्दों को दोहराना नहीं, बल्कि यह एक गहरी आध्यात्मिक यात्रा है। यह स्वयं को जानने, अपनी चेतना को शुद्ध करने और उस परम शक्ति के साथ एकाकार होने का एक मार्ग है। यह साधना साधक से पूर्ण समर्पण, अनुशासन और अटूट विश्वास की मांग करती है।

यदि आप इस पवित्र मार्ग पर चलने की इच्छा रखते हैं, तो सबसे पहले एक योग्य और ज्ञानी गुरु की तलाश करें। उनका मार्गदर्शन ही आपको इस आध्यात्मिक साधना में सफलता दिला सकता है और आप ‘शरीर में देवता का वास’ होने की उस परम अनुभूति को प्राप्त कर सकते हैं।

आध्यात्मिक प्रथाओं और मंत्रों की शक्ति के बारे में और जानने के लिए हमारे साथ जुड़े रहें। यह ज्ञान का एक अथाह सागर है, जिसमें डुबकी लगाकर आप जीवन के वास्तविक अर्थ को खोज सकते हैं।

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