जन्मतिथि से विवाहेतर संबंध के योग कैसे जानें? कुंडली में छिपे संकेत और उपाय

जन्मतिथि से विवाहेतर संबंध के ज्योतिषीय योग - कुंडली विश्लेषण
कुंडली में छिपे विवाहेतर संबंध के संकेत और उपाय

विवाह दो आत्माओं का एक पवित्र बंधन माना जाता है। यह एक ऐसा रिश्ता है जो विश्वास, निष्ठा और आपसी सम्मान पर टिका होता है। लेकिन, कभी-कभी इस पवित्र रिश्ते में दरार आ जाती है और विवाहेतर संबंध (Extra-Marital Affair) जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। कई लोग यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि क्या ज्योतिष के माध्यम से ऐसी संभावनाओं का पता लगाया जा सकता है।

वैदिक ज्योतिष में जन्म कुंडली का गहन विश्लेषण करके किसी व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जाना जा सकता है, जिसमें उसके संबंध और वैवाहिक जीवन भी शामिल है। आइए, हम विस्तार से समझते हैं कि जन्मतिथि के आधार पर विवाहेतर संबंधों के ज्योतिषीय योगों की जांच कैसे की जाती है।

विवाहेतर संबंधों के लिए जिम्मेदार ग्रह और भाव

ज्योतिष में कुछ ग्रह और भाव ऐसे होते हैं जो किसी व्यक्ति की रोमांटिक प्रवृत्तियों और नैतिक मूल्यों को नियंत्रित करते हैं। जब ये ग्रह कमजोर या पीड़ित होते हैं, तो विवाहेतर संबंधों की संभावना बढ़ जाती है।

प्रमुख ग्रह
  • चंद्रमा (मन का कारक): ज्योतिष में चंद्रमा को मन और भावनाओं का स्वामी माना गया है। यदि किसी की कुंडली में चंद्रमा कमजोर या राहु-केतु जैसे पापी ग्रहों से पीड़ित हो, तो व्यक्ति भावनात्मक रूप से अस्थिर हो सकता है और अपने साथी के बाहर भावनात्मक सहारे की तलाश कर सकता है।
  • शुक्र (प्रेम और वासना का कारक): शुक्र ग्रह प्रेम, रोमांस, सुंदरता और भौतिक सुखों का प्रतीक है। यदि कुंडली में शुक्र पर राहु या मंगल जैसे ग्रहों का प्रभाव हो, तो व्यक्ति की कामुक इच्छाएं बढ़ सकती हैं, जो उसे विवाहेतर संबंधों की ओर धकेल सकती हैं।
  • मंगल (ऊर्जा और जुनून का कारक): मंगल ग्रह जुनून, आक्रामकता और यौन ऊर्जा को दर्शाता है। एक पीड़ित मंगल व्यक्ति को आवेगी बना सकता है और वह अपने जुनून को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
  • राहु (अनैतिकता और भ्रम का कारक): राहु एक छाया ग्रह है जो व्यक्ति को सामाजिक मानदंडों को तोड़ने के लिए उकसाता है। यह भ्रम, धोखा और अतृप्त इच्छाओं का कारक है। जब राहु का संबंध शुक्र, चंद्रमा या विवाह से जुड़े भावों से होता है, तो यह गुप्त प्रेम संबंधों की संभावना को प्रबल करता है।
  • बुध (बुद्धि और संचार का कारक): बुध ग्रह व्यक्ति की बुद्धि और संवाद शैली को नियंत्रित करता है। एक पीड़ित बुध व्यक्ति को गुप्त संबंध बनाने और उन्हें छिपाने के लिए चतुराई से झूठ बोलने की प्रवृत्ति दे सकता है।
महत्वपूर्ण भाव (कुंडली के घर)
  • 5वां भाव: यह भाव प्रेम, रोमांस और अफेयर्स का होता है। इस भाव पर पापी ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति को विवाह के बाहर प्रेम संबंध बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
  • 7वां भाव: यह भाव विवाह, साझेदारी और यौन संबंधों का मुख्य घर है। यदि 7वां भाव या इसका स्वामी राहु, शनि या मंगल जैसे ग्रहों से पीड़ित हो, तो वैवाहिक जीवन में समस्याएं और अलगाव की स्थिति बन सकती है।
  • 8वां भाव: यह भाव रहस्यों, गुप्त गतिविधियों और यौन सुखों से जुड़ा है। इस भाव में ग्रहों की अशुभ स्थिति गुप्त और अनैतिक संबंधों को जन्म दे सकती है।
  • 12वां भाव: यह भाव शयन सुख (Bed Pleasures) और छिपी हुई कल्पनाओं का होता है। इस भाव का संबंध जब प्रेम और वासना के ग्रहों से होता है, तो यह विवाहेतर संबंधों का एक मजबूत संकेत होता है।
  • 3रा और 11वां भाव: ये भाव “काम त्रिकोण” का हिस्सा हैं, जो इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं को दर्शाते हैं। इन भावों पर अशुभ प्रभाव व्यक्ति की इच्छाओं को अनैतिक दिशा में ले जा सकता है।

विवाहेत्तर के योग जन्मतिथि से जानें ज्योतिषीय विश्लेषण के द्वारा

कुंडली में कुछ विशेष ग्रह संयोजन होते हैं जो विवाहेतर संबंधों की ओर इशारा करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख योग दिए गए हैं:

  1. राहु और शुक्र की युति: जब कुंडली में राहु और शुक्र एक साथ होते हैं, खासकर वृश्चिक, मेष, तुला या मिथुन राशि में, तो व्यक्ति की वासना और भौतिक सुखों की इच्छा बहुत बढ़ जाती है। यह संयोजन गुप्त प्रेम संबंधों का एक प्रमुख कारक है।
  2. चंद्रमा और बुध की युति: यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा और बुध एक साथ हों, तो उसका मन चंचल होता है। यदि यह युति मिथुन जैसी दोहरी प्रकृति वाली राशि में हो, तो व्यक्ति के एक से अधिक संबंध हो सकते हैं।
  3. मंगल और शुक्र का संबंध: मंगल और शुक्र का एक साथ होना या एक-दूसरे पर दृष्टि डालना व्यक्ति में अत्यधिक कामुकता पैदा करता है। यदि यह संयोजन 8वें या 12वें भाव में हो, तो गुप्त शारीरिक संबंधों की प्रबल संभावना बनती है।
  4. पुनर्भू दोष: जब कुंडली में चंद्रमा और शनि एक साथ हों या एक-दूसरे को देख रहे हों, तो “पुनर्भू दोष” बनता है। यह दोष वैवाहिक जीवन में असंतोष और भावनात्मक खालीपन पैदा करता है, जिससे व्यक्ति बाहर खुशी ढूंढने लगता है।
  5. नवमांश कुंडली (D9 चार्ट) का विश्लेषण: नवमांश कुंडली को विवाह और जीवनसाथी के लिए विशेष रूप से देखा जाता है। यदि नवमांश कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र या मंगल का स्वामित्व हो, या राहु-शुक्र की युति हो, तो यह विवाहेतर संबंधों का संकेत हो सकता है।
  6. जल राशियों में ग्रहों की स्थिति: कर्क, वृश्चिक और मीन जल तत्व की राशियाँ हैं, जो भावनाओं का प्रतीक हैं। यदि विवाह से संबंधित 7वें भाव में राहु या शनि इन राशियों में स्थित हों, तो व्यक्ति भावनात्मक रूप से असंतुष्ट होकर विवाह के बाहर संबंध बना सकता है।

विवाहेतर संबंध के ज्योतिषीय उपाय

यदि आपकी या आपके साथी की कुंडली में ऐसे योग हैं, तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। ज्योतिष केवल संभावनाएं बताता है, यह अंतिम सत्य नहीं है। मजबूत इच्छाशक्ति और कुछ ज्योतिषीय उपायों से इन नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।

  • भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा: वैवाहिक जीवन में सुख-शांति के लिए नियमित रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त पूजा करें।
  • गुरु को मजबूत करें: बृहस्पति (गुरु) ग्रह ज्ञान, नैतिकता और धर्म का कारक है। गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करें और विष्णु भगवान की पूजा करें। एक मजबूत गुरु व्यक्ति को सही रास्ते पर रखता है।
  • मंत्र जाप: शुक्र और राहु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए उनके मंत्रों का जाप करें। आप किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से सलाह लेकर संबंधित ग्रह का रत्न भी धारण कर सकते हैं।
  • कमरे में कपूर जलाएं: रात को सोने से पहले अपने कमरे में कपूर जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और रिश्तों में सकारात्मकता आती है।
  • खुला संवाद: अपने साथी के साथ खुलकर बात करें। किसी भी रिश्ते में संवाद की कमी गलतफहमियों और दूरियों को जन्म देती है।

निष्कर्ष

ज्योतिष एक मार्गदर्शन का विज्ञान है जो हमें हमारे जीवन की संभावित चुनौतियों और शक्तियों के बारे में बताता है। कुंडली में विवाहेतर संबंधों के योग होने का मतलब यह नहीं है कि ऐसा निश्चित रूप से होगा। एक व्यक्ति के नैतिक मूल्य, परवरिश और इच्छाशक्ति इन योगों के प्रभाव को बदल सकते हैं। यदि आपको अपने वैवाहिक जीवन में कोई समस्या महसूस हो रही है, तो किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करना और आपसी समझ और प्रेम से रिश्ते को मजबूत बनाने का प्रयास करना सबसे अच्छा मार्ग है।

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